इसका पहला पद्य श्री हरिवंश जी लिखा है और दूसरा तो आपको पता ही है।
उतना उम्दा तो नही लिख पाया हूं में, जितना बच्चन साहब लिख गये जिस भाव से लिख गए, आज भी उतनी ही सच्चाई रखती है उनकी ये पंक्तियां जो उन्होंने इतने समय पहले लिख डाली।
जीवन मे एक बार इस कविता को जरूर पढ़ना।
उम्मीद है मेरे द्वारा लिखी हुई ये कोशिश आपको पसंद आएगी please कंमेंट करकर बताइयेगा जरूर।
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