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Nilam Agarwalla
मेरे पूजन-आराधन को, मेरे सम्पूर्ण समर्पण को जब मेरी कमजोरी कहकर मेरा पूजित पाषाण हँसा .. तब रोक न पाया मैं आँसू जिसके पीछे पागल होकर मैं दौड़ा अपने जीवन-भर, जब मृगजल में परिवर्तित हो मुझ पर मेरा अरमान हँसा! तब रोक न पाया मैं आँसू ! जिसमें अपने प्राणों को भर कर देना चाहा अजर-अमर जब विस्मृति के पीछे छिपकर मुझ पर वह मेरा गान हँसा ! तब रोक न पाया मैं आँसू ! 🖊️बच्चन ,डा.हरिवंश राय # ... ©Nilam Agarwalla #हरिवंशरायबच्चन
AbhiJaunpur
हरिवंश राय बच्चन जी की पंक्ति मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला, प्रियतम,अपने ही हाथों से आज पिलाऊंगा प्याला। पहले भोग लगा लूँ तेरा फिर प्रसाद जग पाएगा, सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला। ©AbhiJaunpur #हरिवंशरायबच्चन #मधुशाला #AbhiJaunpur
AbhiJaunpur
हरिवंश राय बच्चन जी की रचना मधुशाला की प्रमुख लाईन दोनों रहते एक न जब तक मंदिर मस्जिद में जाते, बैर बढ़ाते मस्जिद मंदिर मेल कराती मधुशाला। ©AbhiJaunpur #हरिवंशरायबच्चन #रचना #मधुशाला #AbhiJaunpur अदनासा- Sethi Ji Anshu writer Rakesh Srivastava Ritu Tyagi
AbhiJaunpur
पुण्यतिथि पर शत् शत् नमन। ©AbhiJaunpur #हरिवंशरायबच्चन #पुण्यतिथि M͙r͙_V͙I͙C͙K͙Y͙_R͙_A͙_J͙
AJAY NAYAK
Saurabh Anand
मदिरा पीने की अभिलाषा ही बन जाए जब हाला, अधरों की आतुरता में ही जब आभासित हो प्याला, बने ध्यान ही करते-करते जब साकी साकार, सखे, रहे न हाला, प्याला, साकी, तुझे मिलेगी मधुशाला।। ~हरिवंश राय बच्चन . ©Saurabh Anand #रामधारी_सिंह_दिनकरहरिवंश#हरिवंशरायबच्चन#मानवकौल
@Sushilkumar_Sushil
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ । है कंहा वह आग जो मुझको जलाए, है कंहा वह ज्वाल पास मेरे आए, रागिनी, तुम आज दीपक राग गाओ; आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ । तुम नई आभा नहीं मुझमें भरोगी, नव विभा में स्नान तुम भी तो करोगी, आज तुम मुझको जगाकर जगमगाओ; आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ । मैं तपोमय ज्योति की, पर, प्यास मुझको, है प्रणय की शक्ति पर विश्वास मुझको, स्नेह की दो बूंदे भी तो तुम गिराओ; आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ । कल तिमिर को भेद मैं आगे बढूंगा, कल प्रलय की आंधियों से मैं लडूंगा, किन्तु आज मुझको आंचल से बचाओ; आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ । ---●◆■★■◆●--- -~//हरिवंशराय बच्चन//~- ©@Sushilkumar_Sushil #दिया #हरिवंशरायबच्चन
Guruwanshu
विश्व तुम्हारे विषमय जीवन इतने सालों पहले ही भाँप में ला पाएगी हाला मद का ये रूप दिखा डाला यदि थोड़ी-सी भी यह जिसके रहे भाव जैसे, वैसे मेरी मदमाती साकी बाला पढ़ता ये साकी बाला शून्य तुम्हारी घड़ियाँ कुछ भी सभी परिस्थिति प्याले की यदि यह गुंजित कर पाई कल्पित पद्यों में वर्णित कर जन्म सफल समझेगी जग भावों को सुशब्दित कर, क्या में अपना मेरी मधुशाला।। खूब लिखी ये मधुशाला।। -स्व० श्री हरिवंशराय बच्चन इसका पहला पद्य श्री हरिवंश जी लिखा है और दूसरा तो आपको पता ही है। उतना उम्दा तो नही लिख पाया हूं में, जितना बच्चन साहब लिख गये जिस भाव से लिख गए, आज भी उतनी ही सच्चाई रखती है उनकी ये पंक्तियां जो उन्होंने इतने समय पहले लिख डाली। जीवन मे एक बार इस कविता को जरूर पढ़ना। उम्मीद है मेरे द्वारा लिखी हुई ये कोशिश आपको पसंद आएगी please कंमेंट करकर बताइयेगा जरूर। #guruwanshu #yqdidi #yqbaba #मधुशाला #yqquotes #yqpoem #yqinspiration #हरिवंशरायबच्चन
Tanha Shayar hu Yash
किस्मत का धनी तो मैं बचपन से ही था। पर धन को धन नहीं समझा, तो घुन लग गया। कोई चालाकी नही की कोई तरकीब नही निकाली । खुद को मोती बनाने की चाह में , मैं ऐशट्रे में पड़ गया । तनहा शायर हूँ-यश । ©Tanha Shayar hu Yash #यशपालसेजवाल #हरिवंशरायबच्चन #tanhashayarhu #shayri