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गीत :- बच्चों का यह खेल , खींच लाता है बचपन । देख

गीत :-
बच्चों का यह खेल , खींच लाता है बचपन ।
देख इन्हें अब आज , याद आता वह जीवन ।।
बच्चों का यह खेल ...

वह लम्बा परिवार , और छोटा सा भीतर ।
लड़ते हम सब संग , जैसे बाज औ तीतर ।।
हो जाएँ जब तंग , छुपे फिर माँ के आँचल ।
छोटी सी हो बात , मगर हो जाती अनबन ।।
बच्चों का यह खेल ...।

आज नही है पास , हमारे दिन वह सुंदर ।
आते घर जब घूम , बने रहते थे बन्दर ।।
बापू देते डाट , मातु से होती ठन-ठन ।
यह बालक नादान , अभी हैं ये कोमल मन ।
बच्चों का यह खेल ...।

खेलों में ही बीत , सदा जाता था वह दिन ।
कभी नही थी सोच , काल क्या हो किसके बिन ।।
बस इतना था याद , यही होगा नवजीवन ।
छू कर माँ के पाँव , सदा करता जो वंदन ।।

बच्चों का यह खेल , खींच लाता है बचपन ।
देख इन्हें अब आज , याद आता वह जीवन ।।


०६/१०/२०२३     -     महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :-


बच्चों का यह खेल , खींच लाता है बचपन ।

देख इन्हें अब आज , याद आता वह जीवन ।।

बच्चों का यह खेल ...
गीत :-
बच्चों का यह खेल , खींच लाता है बचपन ।
देख इन्हें अब आज , याद आता वह जीवन ।।
बच्चों का यह खेल ...

वह लम्बा परिवार , और छोटा सा भीतर ।
लड़ते हम सब संग , जैसे बाज औ तीतर ।।
हो जाएँ जब तंग , छुपे फिर माँ के आँचल ।
छोटी सी हो बात , मगर हो जाती अनबन ।।
बच्चों का यह खेल ...।

आज नही है पास , हमारे दिन वह सुंदर ।
आते घर जब घूम , बने रहते थे बन्दर ।।
बापू देते डाट , मातु से होती ठन-ठन ।
यह बालक नादान , अभी हैं ये कोमल मन ।
बच्चों का यह खेल ...।

खेलों में ही बीत , सदा जाता था वह दिन ।
कभी नही थी सोच , काल क्या हो किसके बिन ।।
बस इतना था याद , यही होगा नवजीवन ।
छू कर माँ के पाँव , सदा करता जो वंदन ।।

बच्चों का यह खेल , खींच लाता है बचपन ।
देख इन्हें अब आज , याद आता वह जीवन ।।


०६/१०/२०२३     -     महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :-


बच्चों का यह खेल , खींच लाता है बचपन ।

देख इन्हें अब आज , याद आता वह जीवन ।।

बच्चों का यह खेल ...

गीत :- बच्चों का यह खेल , खींच लाता है बचपन । देख इन्हें अब आज , याद आता वह जीवन ।। बच्चों का यह खेल ... #कविता