तिनका-तिनका जोड़ कर,घौंसला बनाती जो ! रहे न भूखी कभी गौरैया,तिनका-तिनका जुटाती जो ! खुले आसमां में ठिकाना,प्रकृति से मेल कराती जो ! न किसी से बैर भाव,अपनी ही धुन में गुनगुनाती जो ! चलत डगरिया हौसलों पर,जोखिम उठाती जो ! सुख-दुख दोनों में सरल,कभी न घबराती जो ! ©Thakur Vivek Krishna #गौरैया