हजारों चाहतें थीं मगर हजारों चाहतें थीं मगर, एक दिल की बात खास थी। भीड़ में खो गए थे सब, बस वो एक एहसास थी। चाहा था सितारों को छूना, चांदनी को गले लगाना, मगर दिल को सुकून मिला, उसकी आँखों में ठहर जाना। ख्वाब थे ऊंचाइयों के, आसमानों के उस पार, पर जमीं पर उनके संग चलना लगा सबसे ज्यादा प्यारा। धन, दौलत, शोहरत सब, आनी-जानी बातें थीं, मगर उनके साथ बिताए पल, सबसे सुहानी रातें थीं। हजारों चाहतें थीं मगर, एक सच बस यही रहा, जिंदगी का हर रंग फीका, अगर वो मेरे संग न रहा। ©Avinash Jha #चाहतें