फ़लक पर झूमते हैं, नाचते हैं, गीत गाते हैं, जो उड़ते हैं उन्हें उड़ने के ख़तरे कब डराते हैं। परिंदों की नज़र से एक पल बस देख लो दुनिया, न पूछोगे कभी, उड़कर परिंदे क्या कमाते है। ✍️ सज्जन 'धर्मेन्द्र' ©SB Shivam Mishra ✍️ सज्जन धर्मेन्द्र