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दर्द ही दर्द ======= दर्द लिखने वाले को सुकून कहाँ

दर्द ही दर्द
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दर्द लिखने वाले को सुकून कहाँ है
दर्द प्यार का  हो ये लिखा कहाँ है।

तन्हाई ना घेर ले इसलिए लिखते हैं
खुद को कलम पन्नों में व्यस्त रखते हैं।

मौन चीखों को शब्दों में व्यक्त करते है
अश्कों की माला को हाथों से तोड़ते है।

ज़िन्दगी पहेली का अलग ही फ़साना है।
कब क्या खेल खेले ये किसने जाना है।

©archi_thoughts
  दर्द ही दर्द

दर्द ही दर्द #शायरी

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