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काश हमारे रगों से यादों का गुबार निकल जाता, शराब औ

काश हमारे रगों से यादों का गुबार निकल जाता,
शराब और शबाब से हमारा दिल भी बहल जाता!

रम्ज मिला था खुदा से मुझको इसी हश्र का,
काश तुम्हारी तरह मेरा अक़ीदा भी बदल जाता!

मसरूर हूँ तेरे बगैर भी सारे ज़माने से पूछ लें,
इतने ही झूठ से खुद का मन भी बहल जाता!

कैसी आग लगी कि जावेदां मोहब्बत न रही,
काश उन्ही तेज लपटों में अना भी जल जाता!

पिघल कर मोम से मैं फिर मोम बन जाता हूँ,
तकदीर मेरा मेरे हक़ में भी कभी पिघल जाता!

दुनिया भर को तो बदलने की नसीहत देते हैं,
काश हम भी बदलते ये दिल भी संभल जाता!

कोई तो बाब बची होगी तुझ तक आने के लिए,
वक़्त भी चलता  और  जीस्त भी चल जाता! गुबार-धूल, रम्ज-संकेत, अक़ीदा-ईमान, मसरूर खुश, जावेंदा-कभी न खत्म होने वाला, अना-मैं, बाब-द्वार, जीस्त- जिंदगी
काश हमारे रगों से यादों का गुबार निकल जाता,
शराब और शबाब से हमारा दिल भी बहल जाता!

रम्ज मिला था खुदा से मुझको इसी हश्र का,
काश तुम्हारी तरह मेरा अक़ीदा भी बदल जाता!

मसरूर हूँ तेरे बगैर भी सारे ज़माने से पूछ लें,
इतने ही झूठ से खुद का मन भी बहल जाता!

कैसी आग लगी कि जावेदां मोहब्बत न रही,
काश उन्ही तेज लपटों में अना भी जल जाता!

पिघल कर मोम से मैं फिर मोम बन जाता हूँ,
तकदीर मेरा मेरे हक़ में भी कभी पिघल जाता!

दुनिया भर को तो बदलने की नसीहत देते हैं,
काश हम भी बदलते ये दिल भी संभल जाता!

कोई तो बाब बची होगी तुझ तक आने के लिए,
वक़्त भी चलता  और  जीस्त भी चल जाता! गुबार-धूल, रम्ज-संकेत, अक़ीदा-ईमान, मसरूर खुश, जावेंदा-कभी न खत्म होने वाला, अना-मैं, बाब-द्वार, जीस्त- जिंदगी

गुबार-धूल, रम्ज-संकेत, अक़ीदा-ईमान, मसरूर खुश, जावेंदा-कभी न खत्म होने वाला, अना-मैं, बाब-द्वार, जीस्त- जिंदगी