मैं इस उमीद पे डूबा कि तू बचा लेगा अब इस के बा'द मिरा इम्तिहान क्या लेगा ये एक मेला है वा'दा किसी से क्या लेगा ढलेगा दिन तो हर इक अपना रास्ता लेगा मैं बुझ गया तो हमेशा को बुझ ही जाऊँगा कोई चराग़ नहीं हूँ कि फिर जला लेगा कलेजा चाहिए दुश्मन से दुश्मनी के लिए जो बे-अमल है वो बदला किसी से क्या लेगा मैं उस का हो नहीं सकता बता न देना उसे लकीरें हाथ की अपनी वो सब जला लेगा हज़ार तोड़ के आ जाऊँ उस से रिश्ता 'वसीम' मैं जानता हूँ वो जब चाहेगा बुला लेगा ©J S T C wo jab chahe bula lega..