जब ढूंढने निकले हम राहें मंज़िल तो सुना सा सफ़र मिला चराग जो जलाए अपनी वफ़ा का तो सिर्फ़ धुआं निकला जब बुना हमने अपनी हसीं सपनों का ताना - बाना तो हमें सिर्फ़ पथरीली ज़मीन का ठिकाना मिला थे सवाल उसके भी कुछ अलग ही किस्म के जिसे सुलझाने के हमे भी कोई ज़वाब ना मिला कुछ तो बात है हमारी इस पाक मोहब्बत में , की उनको भी हमारी यादों से कभी छुटकारा ना मिला ज़िंदगी है तो हर साल की तरह ये साल भी यूं निकला फ़िर ना लेकिन हमें हंसने का कभी कोई बहाना मिला। ©Sadhna Sarkar #CityWinter #ankahe-jazbat