Nojoto: Largest Storytelling Platform

जब ढूंढने निकले हम राहें मंज़िल तो सुना सा सफ़र मि

जब ढूंढने निकले हम राहें मंज़िल तो सुना सा सफ़र मिला 
चराग जो जलाए अपनी वफ़ा का तो सिर्फ़ धुआं निकला 

जब बुना हमने अपनी हसीं सपनों का ताना - बाना 
 तो हमें सिर्फ़ पथरीली ज़मीन का ठिकाना मिला

थे सवाल उसके भी कुछ अलग ही किस्म के
जिसे सुलझाने के हमे भी कोई ज़वाब ना मिला

कुछ तो बात है हमारी इस पाक मोहब्बत में , की
उनको भी हमारी यादों से कभी छुटकारा ना मिला

ज़िंदगी है तो हर साल की तरह ये साल भी यूं निकला
फ़िर ना लेकिन हमें हंसने का कभी कोई बहाना मिला।

©Sadhna Sarkar #CityWinter #ankahe-jazbat
जब ढूंढने निकले हम राहें मंज़िल तो सुना सा सफ़र मिला 
चराग जो जलाए अपनी वफ़ा का तो सिर्फ़ धुआं निकला 

जब बुना हमने अपनी हसीं सपनों का ताना - बाना 
 तो हमें सिर्फ़ पथरीली ज़मीन का ठिकाना मिला

थे सवाल उसके भी कुछ अलग ही किस्म के
जिसे सुलझाने के हमे भी कोई ज़वाब ना मिला

कुछ तो बात है हमारी इस पाक मोहब्बत में , की
उनको भी हमारी यादों से कभी छुटकारा ना मिला

ज़िंदगी है तो हर साल की तरह ये साल भी यूं निकला
फ़िर ना लेकिन हमें हंसने का कभी कोई बहाना मिला।

©Sadhna Sarkar #CityWinter #ankahe-jazbat