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काँच सा दिल कोई विरह में चली बयार गजले। तो कभी रकी

काँच सा दिल कोई विरह में चली बयार गजले।
तो कभी रकीब का प्यार गजले।
कभी सहा होगा दर्द -ए-दिल में,
है वही अँसुवन का खार गजले।
काँच सा दिल कोई विरह में चली बयार गजले।
तो कभी रकीब का प्यार गजले।
कभी सहा होगा दर्द -ए-दिल में,
है वही अँसुवन का खार गजले।