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आदमी का रिटायरमेंट तो हम आये दिन देखते रहते है

आदमी का   रिटायरमेंट  तो हम  आये दिन
देखते रहते हैँ
लेकिन  आदमी पद  मुक्ति क़े बाद तिथि बाह्य   होने लगता है  और  उसमे अब
जीवन से  भी  अवकाश प्राप्त कर लेने कीउतकंठा  जाग्रत होने लगती  है... क्योंकि
अब न तो उसे  कोई सैल्यूट  मारता है
न  उसे  कही से कोई अभिवादन  मिलता है l
एकल  जीवन का  लुत्फ़  तो. केवल
आध्यात्मिक  पुरुष  ही ले  पाते हैँ...... लेकिन
समाज  और  परिवार से  जुडा  व्यक्ति
अवकाश प्राप्ति क़े बाद   इस  प्रकार की
उपेक्षा को  वो  अभिशाप की  तरह  देखने
लगता है 
..

©Parasram Arora #रिटायरमेंट......
आदमी का   रिटायरमेंट  तो हम  आये दिन
देखते रहते हैँ
लेकिन  आदमी पद  मुक्ति क़े बाद तिथि बाह्य   होने लगता है  और  उसमे अब
जीवन से  भी  अवकाश प्राप्त कर लेने कीउतकंठा  जाग्रत होने लगती  है... क्योंकि
अब न तो उसे  कोई सैल्यूट  मारता है
न  उसे  कही से कोई अभिवादन  मिलता है l
एकल  जीवन का  लुत्फ़  तो. केवल
आध्यात्मिक  पुरुष  ही ले  पाते हैँ...... लेकिन
समाज  और  परिवार से  जुडा  व्यक्ति
अवकाश प्राप्ति क़े बाद   इस  प्रकार की
उपेक्षा को  वो  अभिशाप की  तरह  देखने
लगता है 
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©Parasram Arora #रिटायरमेंट......