White शहीद खून की तरह बहा वो शिराओं में , सारा बदन तर कर गया, मरना कहाँ था उसे ? अमर होना था ! इसलिए शहीद हो गया, कुछ हवा बनकर महक गया, कुछ जमीं पर बिखर गया, वो चिरायु है तेरे और मेरे ख्यालों में, वो खुद को प्रेम सा गढ गया, उसने अमर बना दिया खुद को, वो जर्रे जर्रे में निखर गया, भारत माँ का सपूत है वो, मातृ चरणों में बिखर गया, चिर युवा है वो अमर है, बुढापा छू नहीं पायेगा उसे, वह अमृत रस चख गया, खून बन कर बहता है वह शिराओं में, इसलिए मातृ रज में लिपट गया। खुद को विलीन कर गया । ©Yashpal singh gusain badal' शहीद