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छल कपट और द्वेष में कुछ इस तरह लिप्त हो चला है तू,

छल कपट और द्वेष में कुछ इस तरह लिप्त हो चला है तू, 
शायद खुद को खुदा समझने लगा है तू, 
अरे रावण के यहां तो काल बंदी था,
ये क्यों भूल रहा है तू।। #छल#कपट#व्देष
छल कपट और द्वेष में कुछ इस तरह लिप्त हो चला है तू, 
शायद खुद को खुदा समझने लगा है तू, 
अरे रावण के यहां तो काल बंदी था,
ये क्यों भूल रहा है तू।। #छल#कपट#व्देष