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खत्म होने जैसा कुछ नहीं होता जिंदगी फिर से नई शुरु

खत्म होने जैसा कुछ नहीं होता
जिंदगी फिर से नई शुरुआत करती है

बदली हैं निगाहें अपना कहने वालों की
मेरे ख़ुदा की निगाहें कभी नहीं बदली 

हम अपनी नज़र में सही थे फक्र है हमें 
औरों की तरह हमनें फ़ितरत नहीं बदली 

रोज अश्कों की झड़ी लगी रही है आंखों से
ये मेरी आँखें हैं कोई सावन की बदली नहीं 

यकीं उठ जाता है बदलते दौर में दोस्ती से भी
हमनें कभी दोस्ती में अपनी नज़र नहीं बदली !!

©Anjali Nigam
  #शुरुआत