तुम जीवन का प्रश्न बनी हो या यह जीवन एक प्रश्न बना है। बीती यादोँ के साये में आख़िर क्या मैं ढूँढ रहा हूँ। मौन खड़ा यह सोच रहा हूँ उत्तर स्वयँ से पूछ रहा हूँ। तुम जीवन का प्रश्न बनी हो या यह जीवन एक प्रश्न बना है। सब कुछ तो बिखड़ा बिखड़ा है आख़िर क्युँ यह पल ठहरा है। प्रेम अगर जब कभी ना मरता फिर आख़िर क्यूँ यह झगड़ा है तुम जीवन का प्रश्न बनी हो या यह जीवन एक प्रश्न बना है। माना आज तो अवसादी हूँ पर तन्हा रहने का आदी हूँ। फिर उन एहसासों की ज़द में मन क्यूँ यह जकड़ा जकड़ा है। तुम जीवन का प्रश्न बनी हो या यह जीवन एक प्रश्न बना है। - क्रांति #प्रश्न