निश्चल जल सा शांत स्वभाव , हितकारी , हितैषी भाव , सोच सुंदर सुदूर , अभ्यस्त विश्व के सुझाव, चंचल समर्थ ज्ञानी , परिजन से लगाव, ये हैं मेरे दादा जी ! ये जो शब्द हैं ये उन्हीं की देन भाषा , सोच मेरे सारे भाव में गुंजित उनके विचार , स्वभाव , एक मूल समानता है हम में गुरु शिष्य सा सदभाव , छोटी छोटी बातें समझना दुनिया की रीत कहानियों से बतलाना , ना समझ बन कर हम गलतियों का एहसास करना । प्रेम आलिंगन शब्दों से और हर सवाल पर सुलझा जवाब । हर नए रास्ते पे चलने के लिए समर्थन और गिरने ,हारने पर उत्कृष्ट विचार। कर्म रियासत में मिली है मुझे और कुछ कर गुजरने का जज्बा आशिर्वाद , जो हूं आपके वजह से हूं , मेरे अंदर जन्में इस जीवन का मूल बीज है मेरे दादा जी । आपका अभिनंदन बस इससे की एक मित्र , एक मार्गदरशक , एक गुरु , एक नेति और कमाल की आत्मशक्ति जिससे आत्मसात करने कि प्रयास मैं एक अदना सा पोता जो सिर्फ शिष्य बन पाया । ©sukhwant kumar Saket #दादाजी #nojohindi #परछाई #poem #HappyDaughtersDay2020