गुड्डी(पतंग) सी उड़ती जीवन काया
शहद पिलाती थी '"महामाया" (सदाशिव को दूध पिलाने वाली महादेवी)
पात्र जो छूटा, सब जग रूठा
बचपन नहीं रहा अब भींत (पास/भीतर)
मृग सा प्यासा उसको ढूँढू
बतादो तुम, कहाँ हो मीत ?
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