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लेख-मेरे पिता जिसने उंगली पकड़कर चलना है सिखाया,

लेख-मेरे पिता

जिसने उंगली पकड़कर चलना है सिखाया, जिद्द करने पर हर चीज ला कर दी, हमेशा अच्छे बुरे वक्त में मेरे साथ खड़े रहे, वह मेरे पिता है।।

चाहे जेब खाली हो मैंने उनको मना करते नहीं देखा मैंने अपने पिता से ज्यादा अमीर इंसान अपनी जिंदगी में नहीं देखा।।

अगर हो जाता हूं मैं कभी बीमार तो सारी रात मेरे बिस्तर के पास बैठ कर निकाल देते हैं, मैंने कभी ऐसा रखवाला नहीं देखा। मेरी हर सफलता का कारण है मेरे पिता। जीवन भर करुगा में उनकी  गुलामी।।

अपने पैरों पर खड़ा हूं आज उनकी वजह से जो हासिल  करूंगा आगे वह भी सिर्फ उनकी वजह से। जो भी मेरे पास है वह मेरे पिता का दिया हुआ है और आगे जो मेरे पास होगा वह भी मेरे पिता की वजह से ही होगा।।

जब कुछ सालों पहले हो गया  था गंभीर बीमार में, जब उन्होंने कर्ज लेकर है करवाया था इलाज मेरा। आज ना होता आपके सामने मैं अगर उन्होंने लाखों खर्च करके मुझे बचाया ना होता।।

आज हूं काबिल में उनकी वजह से एहसान में कभी ना चुका पाऊंगा।। आज भी वह पिता मुझसे कहता है बेटा अगर हो जाए तो किसी चीज की तो बिना डर के मुझे बोल देना ऐसे मेरे पिता है।

 करूंगा सब कुछ उनके लिए करूंगा हर मंजिल हासिल सिर्फ उनके लिए। जब होंगे वह 
 पिता मेरे वद्ध करूंगा हर कोशिश उनको खुश रखने की ना छोडूंगा मैं साथ उनका जिस तरह उन्होंने रखा है मुझे बचपन में   अपने साथ, मैं उनका एहसान कभी ना चुका पाऊंगा।।

🖋कवि नवरतन बंजारा✍
लेख-मेरे पिता

जिसने उंगली पकड़कर चलना है सिखाया, जिद्द करने पर हर चीज ला कर दी, हमेशा अच्छे बुरे वक्त में मेरे साथ खड़े रहे, वह मेरे पिता है।।

चाहे जेब खाली हो मैंने उनको मना करते नहीं देखा मैंने अपने पिता से ज्यादा अमीर इंसान अपनी जिंदगी में नहीं देखा।।

अगर हो जाता हूं मैं कभी बीमार तो सारी रात मेरे बिस्तर के पास बैठ कर निकाल देते हैं, मैंने कभी ऐसा रखवाला नहीं देखा। मेरी हर सफलता का कारण है मेरे पिता। जीवन भर करुगा में उनकी  गुलामी।।

अपने पैरों पर खड़ा हूं आज उनकी वजह से जो हासिल  करूंगा आगे वह भी सिर्फ उनकी वजह से। जो भी मेरे पास है वह मेरे पिता का दिया हुआ है और आगे जो मेरे पास होगा वह भी मेरे पिता की वजह से ही होगा।।

जब कुछ सालों पहले हो गया  था गंभीर बीमार में, जब उन्होंने कर्ज लेकर है करवाया था इलाज मेरा। आज ना होता आपके सामने मैं अगर उन्होंने लाखों खर्च करके मुझे बचाया ना होता।।

आज हूं काबिल में उनकी वजह से एहसान में कभी ना चुका पाऊंगा।। आज भी वह पिता मुझसे कहता है बेटा अगर हो जाए तो किसी चीज की तो बिना डर के मुझे बोल देना ऐसे मेरे पिता है।

 करूंगा सब कुछ उनके लिए करूंगा हर मंजिल हासिल सिर्फ उनके लिए। जब होंगे वह 
 पिता मेरे वद्ध करूंगा हर कोशिश उनको खुश रखने की ना छोडूंगा मैं साथ उनका जिस तरह उन्होंने रखा है मुझे बचपन में   अपने साथ, मैं उनका एहसान कभी ना चुका पाऊंगा।।

🖋कवि नवरतन बंजारा✍