कुछ धर्म रूढ़ियों के कहर से ,जब सम्पूर्ण भारत संघर्ष कर रहा था ,घुटनों के बल सभ्यता स्वराष्ट्र के पन्नों में ,संघर्ष भर रहा था, हाथों की बेड़ियां ,पंखों को खोल उड़ानों से दूर सी थी, पर्वत से तिनके-तिनके में स्वाधीनता की सांसें, मजबूर सी थी, तब अंधेरी पर्तों को खोल ,आंखों में स्वराज्य की मसालें जलने लगी, गुरिल्ला नीति की छलांग भारत में आसमान छूने लगी, संघर्ष,संस्कृति की धरोहर बनकर रग-रग में दौड़ने लगी, समन्दर को मुठ्ठियों में बांध स्वराज्य हर बंधन को तोड़ने लगी, सूरज की चमक ने, छत्रपति के माथें पर मानवता का श्रृंगार किया, कौटिल्य की नीति और राणा के प्रताप ने जब भारत में पुनर्वतार लिया। #शिवाजी महाराज जयंती ©पूर्वार्थ