तुझे पा भी लूँ और खोता रहूँ, मैं मर भी जाऊँ और जीता रहूँ। तुझे खुद से दूर कर और पास कर लूँ, बिल्कुल नींद ना आए मुझे और सोता रहूँ। तेरी सांसे बन जाऊँ और घुटन भी दूँ, तुझे ज़ख्म भी दूँ और मरहम बनता रहूँ। तेरे पास रहूँ और दिखाई ना दूँ, ख़ामोश रहूँ और तुझे बुलाता रहूँ। ग़ज़ल लिखूँ और बिना शेर के लिखूँ, मुँह बंद रखूँ और तुझे सुनाता रहूँ। तुझे नफ़रत करूं और मोहब्ब्त भी, तुझे नाराज़ करूं और मनाता रहूँ। पीना छोड़ दूँ और मैखाने अक्सर जाया करूं, तलब भी ना हो मुझे और पैमाने लेता रहूँ। डूब भी जाऊँ और बचा भी लूँ खुद को, अमृत का सेवन करूँ और विष पीता रहूँ। -- सोमेश #contradiction