स्मृतियों के जंगल बहुत घने होते हैं, बहुत विशाल होते हैं और दूर ज़हां तक आपकी नजर जाती है ये वहां तक अपनी बांहें फैलाए आपका स्वागत करने को आतुर रहते हैं इनको ठिकाना मत बनाइए विश्राम कीजिये, सुस्ताइये और जितना जल्दी हो सके वापिस आ जाइये इनको अपना स्थाई पता ना बनाइए वरना ये आपको जीने नहीं देंगे कुछ पल ठहरकर वापिस आ जाइये कुछ लोग कुछ जिम्मेदारियां कुछ दायित्व,आपकी राह देख रहे हैं। ©अपर्णा विजय #स्मृतियों के जंगल