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मालूम है मुझे कि मालूम नहीं है तुम्हें हालात मेरे,

मालूम है मुझे कि मालूम नहीं है तुम्हें हालात मेरे,
पर हालात ऐसे कि मुझे इंतजार आज भी है....
सबको फिकर थी इंतेहा मेरे आज की, हमें फिकर  बेइंतेहा तेरी आज भी  है....
मिलना उस मोड़ पर अब कभी नामुमकिन है, जाने क्यों नजर मेरी उस मोड़ पर आज भी  है....
वादे परम खुले जख्म की तरह छोड़ दिए तूने, फिर भी है जिंदा की यादें-ए-मरहम आज भी है....

©Parmjit Singh
  #Love #Dil #Dhoka #shyari