समय की धारा में सब बह जाता चलो आओ अतीत को बुलाएं खिलखिला कर मुस्कुराएं चंद खुशियां ढूंढ लाएं फिर नाचे और गाएं सपनों को सजाएं जीवन की बगिया महकाएं सच समय की धारा में सब बह जाता है अपनी जिंदादिली पर फिदा हूं मैं भोली सी चंचल शैतानियां दिलों की भूली नादानियां दोस्तों की प्यारी रुसवाईयां भूली सी कई कहानियां जिंदगी की खूबसूरत रुबाइयां फिर से कह लें फिर से सुन लें क्योंकि समय की धारा में सब बह जाता है ©पूर्वार्थ #समय #धारा