मोहब्बत में हो तो आजमाना छोड़ दो सर्द रातों में भटको , आशियाना छोड़ दो एक बुत हो , ठहर कर मुस्कुराते रहो चाहें शूलें चुभे चरमराना छोड़ दो सजाना ही है ग़र तो, चिता तुम सजाओ खामखाह यह बिस्तर सजाना छोड़ दो और ग़र जिसम् तक ठहरती है मंज़िल कहीं हवस है वो मोहब्बत बताना छोड़ दो हमने की थी मोहब्बत और खोया सभी सीखो हमसे और तुम अब गवांना छोड़ दो