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फलक पे चाँद तारे पर, जहां रौशन नहीं मेरा, पतंगा

फलक पे चाँद तारे पर, 
जहां रौशन नहीं मेरा, 
पतंगा कैसे जल जाये? 
श़मा रौशन नहीं मेरा, 
अंधेरा खूद हीं मिट जाये, 
अरे नूर- ए-गज़ल मेरी, 
जो तेरा चाँद सा चेहरा, 
मेरे सर- ए-बाम पे होगा!!

©Kumar Pranesh
  #Dreams मेरी नूर-ए-गजल

#Dreams मेरी नूर-ए-गजल #शायरी

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