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इतने माली सींच रहे हैं फिर सूखी फुलवारी क्यों है ह

इतने माली सींच रहे हैं फिर सूखी फुलवारी क्यों है
हो चिराग तुम दम भरते हो फिर छाई अंधियारी क्यों है
दानी जब हर गलियों में बैठे इतने आज भिखारी क्यों है
मेरे नाम पे खूब कमाया खाली जेब हमारी क्यों है
कोई बच्चा भूखा सोये कोई माँ दुखियारी क्यों है
सजग हो तुम, हो चौकन्ने लूट का खेल ये जारी क्यों है
हर दम, हर पल तेरे शहर में लुटती, मिटती नारी क्यों है
देश हमारा भी कहते हो, जगह जगह गद्दारी क्यों है
कथनी करनी में है अंतर इतनी दुनियादारी क्यों है
अपना तुमने ले लिया पहले फिर ये हिस्सेदारी क्यों है
अपना कहते हो जब हमको दिल में चाहरदीवारी क्यों है
प्रेम पुजारी तेरे हाथों में खूनी तलवारी क्यों है
अभी जाग जा अभी चेत ले फिरता बना अनारी क्यों है
तुम तो आग बुझा आये थे फिर दहकी चिंगारी क्यों है
रोग मिटाते हो तुम दिन भर फिर इतनी बीमारी क्यों है
भारत में फिर तू आजा फिर से रूठा कुंज बिहारी क्यों है
                 संतोष पांडेय(सत्यबन्धु)
                 #satyabandhubharat
इतने माली सींच रहे हैं फिर सूखी फुलवारी क्यों है
हो चिराग तुम दम भरते हो फिर छाई अंधियारी क्यों है
दानी जब हर गलियों में बैठे इतने आज भिखारी क्यों है
मेरे नाम पे खूब कमाया खाली जेब हमारी क्यों है
कोई बच्चा भूखा सोये कोई माँ दुखियारी क्यों है
सजग हो तुम, हो चौकन्ने लूट का खेल ये जारी क्यों है
हर दम, हर पल तेरे शहर में लुटती, मिटती नारी क्यों है
देश हमारा भी कहते हो, जगह जगह गद्दारी क्यों है
कथनी करनी में है अंतर इतनी दुनियादारी क्यों है
अपना तुमने ले लिया पहले फिर ये हिस्सेदारी क्यों है
अपना कहते हो जब हमको दिल में चाहरदीवारी क्यों है
प्रेम पुजारी तेरे हाथों में खूनी तलवारी क्यों है
अभी जाग जा अभी चेत ले फिरता बना अनारी क्यों है
तुम तो आग बुझा आये थे फिर दहकी चिंगारी क्यों है
रोग मिटाते हो तुम दिन भर फिर इतनी बीमारी क्यों है
भारत में फिर तू आजा फिर से रूठा कुंज बिहारी क्यों है
                 संतोष पांडेय(सत्यबन्धु)
                 #satyabandhubharat