हम क्या थे, क्या हैं और क्या होते जा रहे हैं..?
बस कुछ दिनों पहले की बात है जिसे हम सब याद करते है...
हम एक दूसरे से मिलते थे, गले लगते थे, हाथ मिलाते थे, अपने से बड़ो का पैर छू कर आशीर्वाद लेते थे, दोस्तो को सतना, साथ बैठ कर खाना, खूब मस्तियाँ करना, बच्चों को दुलारना अपने रिश्तेदारों के घर जा कर मिलना, बेफिक्री से घूमना, एक दूसरे को थपथपाना..!
ऐसा लगता है जैसे ये सब बहुत पुरानी बातें है ।
याद रखे अभी संकट के बादल छाया हुआ है ये बदल जरूर छटेगा।
बस यही मायने रखता है हमारे लिए कि इस महामारी में हम #boat#विचार#prakashjha#prakashjha_shyari#prakashjha_संवेदना#prakash_jha