वह नाराज है मुझसे तो नाराज ही रहने दो। यूं ही उनको मुझसे एतराज ही रहने दो।।किस कदर बेगुनाही की उन्हे सबूत दें।ऊपर मुझसे उन्ही के आवाज रहने दो।। वह मुझको समझते हैं इंसान गलत है । बात गलत है मगर यह राज ही रहने दो।।सत्य सदा परेशान होता पर हारता नही।खुदा के सामने झूठ का अलफाज ही रहने दो। मुद्दतों मांगेंगे रब से उनके लिए खुशियां। जो आता है इल्जाम हम पर तो इल्जाम ही रहने दो।। उनकी शर्ते हैं मैं बदनाम रहूं। अगर खुशी मिले उनको तो मुझे बदनाम ही रहने दो।। ©Govind dhar Dwivedi सत्यता। लेखक- जी डी द्विवेदी