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आजाद है मगर जेहन पर पहरे लगते हैं खुद को हम बेवजह

आजाद है मगर जेहन पर पहरे लगते हैं
खुद को हम बेवजह तेरे लगते है
पढने बैठूं जब भी मैं किताब कोई
अल्फ़ाज़ भी मुझे चेहरे लगते हैं

©RaaWi
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