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कल रात फिर एक हसीन चेहरा, मेरी निगाहों के रूबरू थ

कल रात फिर एक हसीन चेहरा, 
मेरी निगाहों के रूबरू था | 
गुलाब की पंखुड़ियों जैसे उसके 
खूबसूरत होंठ थे, 
खिले फूल की मानिंद 
वो मुस्करा रही थी |
फिर यका यक 
मेरे हाथ उसे छूने को बढ़ गए 
मगर वो वहां नहीं थी, 
कहीं  नहीं थी,
बस मै था मेरी तन्हाई थी 
और खामोश फजा का ठहराव, 
जो मुझे नींद से बेदार हो जाने का 
अहसास दिला रहा था |

©Suresh Gulia in Kiran malav Halima Usmani Gori Geet Geetu  Astha Raj Dhiren  Ashima heartlessrj1297 R K Mishra CHOUDHARY HARDIN KUKNA
कल रात फिर एक हसीन चेहरा, 
मेरी निगाहों के रूबरू था | 
गुलाब की पंखुड़ियों जैसे उसके 
खूबसूरत होंठ थे, 
खिले फूल की मानिंद 
वो मुस्करा रही थी |
फिर यका यक 
मेरे हाथ उसे छूने को बढ़ गए 
मगर वो वहां नहीं थी, 
कहीं  नहीं थी,
बस मै था मेरी तन्हाई थी 
और खामोश फजा का ठहराव, 
जो मुझे नींद से बेदार हो जाने का 
अहसास दिला रहा था |

©Suresh Gulia in Kiran malav Halima Usmani Gori Geet Geetu  Astha Raj Dhiren  Ashima heartlessrj1297 R K Mishra CHOUDHARY HARDIN KUKNA
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suresh gulia

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