बात इतनी सी है। बात इतनी सी है के ना थमेगी कहीं, जब होगी ये बात शुरू, नज़दीकियों को बयाँ होंगे किस्से, और दिल के हालात रूबरू। एक शख़्स है ख़्वाबों में अक्सर, जिससे मिलने की चाहत है, कर लिया उस चेहरे का ख़्याल, तो दिल को धड़कने में आफ़त है। कमज़ोर घुटनों का ज़िम्मेदार, है उनकी झटकती ज़ुल्फों का मंज़र, जैसे श़िकंजा कसती वो घूमती लटें, जिसके आगे बेबस सी ये नज़र। वो रास्तों पे कंकड़ों को कोसते चलना, के ज़ुर्रत ना करें वो उनके रास्ते में आने की, ख़रीद ली है काले टीकों की दुकान, के नज़र ना लगे उन्हें ज़माने की। क्या खूब उस मुस्कुराहट का असर, माथे पड़ी हर श़िकन जो साफ़ कर दे, ऐसी वो रूह की सच्चाई, हर पछताई गलती को जो माफ़ कर दे। इश़्क को ऐसा महबूब़ मिले, तो मकसद पूरा हो हर जवानी का, और बामुकद्दर वो इश़्क हो कामयाब, तो मतलब पूरा हो हर कहानी का। - आशीष कंचन #बातइतनीसीहै #shayari #poetry #collab #sixthquote #ishq #yqdidi