शीर्षक - दोस्तों और दुश्मनों को एक सा दिखूँ। ना झूठ लिखा है कभी ना झूठ लिखूंगा। ना झूठ पढ़ा है कभी ना झूठ पढ़ूंगा। लिखता रहा हूँ मैं सदा ही सत्य की बातें। हूँ सत्य का सिपाही मैं सत्य कहूंगा। मैं कभी किसी में गलत ढ़ूंढ़ता नहीं। बेवजह की आग में मैं कूदता नहीं। हो रहा हो जो गलत कहीं पे कोई तो। देख कर गलत मैं आँख मूदता नहीं। राजा हो या रंक सबको एक सा लिखूँ। नर हो या हो नारी सबको एक सा पढ़ूं। हो बराबरी जहाँ में भेद-भाव दूर हो। दोस्तों और दुश्मनों को एक सा दिखूँ। अजय कुमार द्विवेदी ''अजय'' #अजयकुमारव्दिवेदी दोस्तों और दुश्मनों को एक सा दिखूँ।