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एहसास ए मोहब्बत की जुबां नही होती। पोथियों को पढ़कर

एहसास ए मोहब्बत की जुबां नही होती।
पोथियों को पढ़कर, मोहब्बत बयां नही होती।।
दिल से दिल की बातों को,दिल ही जानता है।
मोहब्बत को,मोहब्बत से देखो,मोहब्बत कहाँ नही होती।।

©Shubham Bhardwaj
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