ज़ख्म खाये हैं ज़िन्दगी मे, ज़िन्दगी मे वीरानियाँ तो नहीं हैं.. यहाँ हर शब्द हकीकत हैं कोई लिखी कहानियां तो नहीं हैं.. किसी दिन किसी मोड़ पर बदलेंगी ज़िन्दगी मेरी पल भर की हैं ख़ुशी यहाँ हर वक़्त परेशानियां तो नहीं हैं.. अपनी मुसीबतों को यहाँ किस किसको बताऊ.. हर सवाल का यहाँ हल निकाल दें कोई.. किसी मे इतनी समझदारीयाँ तों नहीं हैं.. भीगे आँखो मे होठों पर हसीं लिए फिरता हूँ में यहाँ.. एक दिन उगेगा सूरज मेरी किस्मत का.. जों हूँ ख़ुद से हूँ यहाँ किसी की मेहरबानीयाँ तों नहीं है.।। विपिन - ✍🏻 ©विपिन सेवक " 5--1-24