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अभी है लब पर थरथराहट, अभी ये पलकें झुकी हुई है,

अभी है लब पर थरथराहट, 
अभी ये पलकें झुकी हुई है, 
अभी ये चिलमन हटी नहीँ है, 
शायद मुहब्बत नयी नयी है।

©ब्रजमोहन पांडेय
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