सरस्वती वंदना शिथिलता, विकलता हर ले, चपलता, चंचलता भर दे, हे ज्ञानवाहिनी शारदे.. मन को ज्ञान प्रवीण कर दे। विमुक्त, सशक्त नव स्वर दे, अद्भुत, शाश्वत नव वर दे, हे वीणावादिनी शारदे.. कलरव को पावन कर दे। पथ पथ प्रकाशमय कर दे, जगत में आलोक भर दे, हे हंसवाहिनी शारदे.. मन को विनयशील कर दे। उमंग, तरंग को नव पर दे, नव ताल, नव तेज भर दे, हे ग्रंथधारिणी शारदे.. जीवन आनंदमय कर दे। डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' ©Anand Dadhich #Sarswati #सरस्वतीवंदना #kaviananddadhich #poetananddadhich #poetsofindia