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शायद यह रात गुज़रेगी युँही तन्हाई में कुछ तो कहना

शायद यह रात गुज़रेगी युँही तन्हाई में
कुछ तो कहना चाहती होगी मुझसे वो
अनदेखी अनजान नज़र, है जो देखा करती मुझे
कभी भीड़ में तो कभी रातों के अंधेरों में
सन्नाटों में,मन भी न जाने क्यों है भटकता
अपने ही बनाए गलियारों में जहांँ चुपी है
एक साये की तरह, और बंद है ख्वाहिशें
 दरवाज़ो के तरह

©SAHIL KUMAR
  अनदेखी नज़र
sahilkumar8501

SAHIL KUMAR

New Creator

अनदेखी नज़र #कविता

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