अचेतन की कंदराओं से निकल कर पहली बार चेतना के n मंच पर आया हूँ लगा जैसे अभी अभी मैं इस ग्रह पर अवतरित हुआ हूँ और अभी अभी मैने पहली और ताज़ा सांस ली है..... नव चेतन.....