अंधेरों से भरी जिन्दगी मे उजाला करते है अब खुद को तन्हाई के हवाले करते है यूं तो कई लोग मिले थे रस्ते में, सबसे बिछडकर खुद को किनारा करते है। यूं मिलते रहे तो तलब हमें हो जाएगी, चलो अब फकत यादों पे गुजारा करते हैं । ये शाम जो गुजर रही थी किसी की यादों में, गले लगाकर उससे प्यार दुबारा करते है। मानिंद सहरा सा हो जायेंगे, बिन पानी के गुजारा करते हैं । ना तुम मिलों ना हम मिले, चलो अभी से किनारा करते हैं । क्यूं रंजिशें भी रहे हमारे दरमियां, तुम्हें तुम्हारी दुनिया मुबारक करते है। हां माना कि तुम्हें खो देंगे, फिर भी ये खसारा करते है। OPEN FOR COLLAB✨ #ATअँधेरोंसेभरीज़िन्दगी • A Challenge by Aesthetic Thoughts! ✨ Collab with your soulful words.✨ • Must use hashtag: #aestheticthoughts • Please maintain the aesthetics.