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बचपन और माँ ये चन्द पंक्तियाँ मेरी माँ के लिए समर

बचपन और माँ  ये चन्द पंक्तियाँ मेरी माँ के लिए समर्पित:
ये पंक्तियाँ मैंने अपने बचपन में अपनी माँ के साथ जी हैं
और जो भी ये पंक्ति मैंने लिखी हैं ये मेरे बचपन की सच्चाई है, जो मैंने एक छोटी सी कविता के रूप में ढाल कर आपके सामने प्रस्तुत की है!
और हैरत की बात ये है इन् सभी पंक्तियों में से किसी एक पंक्ति में भी माँ शब्द प्रयोग नही किया मैंने फिर भी माँ के लिए लिखी है!
आज जब मैं माँ से दूर हूँ तो वो पल बहुत याद आते हैं
अगर पसंद आये तो कमेंट में बताना जरुर! 


जी चाहता है उस बचपन में लौट जाने को!
जब तू अपने पल्लू की चादर बनाकर मुझको उड़ाती थी!
शाम ढलते ही छत पर बिछोना करके मुझे सुलाती थी!!

जी चाहता है उस बचपन में लौट जाने को!
जब लाइट आने पर मुझे गोद में उठाकर 
नीचे लाती थी!
कमरे में लाकर पंखे की हवा में मुझे सुलाती  थी!!

जी चाहता है उस बचपन में लौट जाने को!
जब मेरे ढंग से न नहाने पर खुद मल मल के नहलाती थी!
फिर पोंछ कर बदन मेरा बालों में तेल और आँखों में काजल लगाती थी!!

जी चाहता है उस बचपन में लौट जाने को!
जब मेरे सुबह ४ बजे पढाई के लिए न उठने पर मुझे बार बार आवाज लगाती थी!
फिर डांट कर मुझे देकर हाथों में मेरे किताब खुद मेरे लिए खाना बनाती थी!!

जी चाहता है उस बचपन में लौट जाने को!
जब मेरे न खाने पर जबरदस्ती मुझे खिलाती थी!
फिर मेरी बचकानी हरकतों पर मुझे बड़ा सुनती थी!!
                  ....... मोहित पाल Vikash Kumar OM BHAKAT "MOHAN,(कलम मेवाड़ की) Sourabh Patil_2210  Kalyani Shukla Pakhi Gupta Vikash Kumar Samhita Nandi OM BHAKAT "MOHAN,(कलम मेवाड़ की)
बचपन और माँ  ये चन्द पंक्तियाँ मेरी माँ के लिए समर्पित:
ये पंक्तियाँ मैंने अपने बचपन में अपनी माँ के साथ जी हैं
और जो भी ये पंक्ति मैंने लिखी हैं ये मेरे बचपन की सच्चाई है, जो मैंने एक छोटी सी कविता के रूप में ढाल कर आपके सामने प्रस्तुत की है!
और हैरत की बात ये है इन् सभी पंक्तियों में से किसी एक पंक्ति में भी माँ शब्द प्रयोग नही किया मैंने फिर भी माँ के लिए लिखी है!
आज जब मैं माँ से दूर हूँ तो वो पल बहुत याद आते हैं
अगर पसंद आये तो कमेंट में बताना जरुर! 


जी चाहता है उस बचपन में लौट जाने को!
जब तू अपने पल्लू की चादर बनाकर मुझको उड़ाती थी!
शाम ढलते ही छत पर बिछोना करके मुझे सुलाती थी!!

जी चाहता है उस बचपन में लौट जाने को!
जब लाइट आने पर मुझे गोद में उठाकर 
नीचे लाती थी!
कमरे में लाकर पंखे की हवा में मुझे सुलाती  थी!!

जी चाहता है उस बचपन में लौट जाने को!
जब मेरे ढंग से न नहाने पर खुद मल मल के नहलाती थी!
फिर पोंछ कर बदन मेरा बालों में तेल और आँखों में काजल लगाती थी!!

जी चाहता है उस बचपन में लौट जाने को!
जब मेरे सुबह ४ बजे पढाई के लिए न उठने पर मुझे बार बार आवाज लगाती थी!
फिर डांट कर मुझे देकर हाथों में मेरे किताब खुद मेरे लिए खाना बनाती थी!!

जी चाहता है उस बचपन में लौट जाने को!
जब मेरे न खाने पर जबरदस्ती मुझे खिलाती थी!
फिर मेरी बचकानी हरकतों पर मुझे बड़ा सुनती थी!!
                  ....... मोहित पाल Vikash Kumar OM BHAKAT "MOHAN,(कलम मेवाड़ की) Sourabh Patil_2210  Kalyani Shukla Pakhi Gupta Vikash Kumar Samhita Nandi OM BHAKAT "MOHAN,(कलम मेवाड़ की)