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गुज़रे ना जाने कहीं खो से गये हैं, यूं तो होती थी ब

गुज़रे ना जाने कहीं खो से गये हैं,
यूं तो होती थी बहुत बातें और मुलाकातें तब,
अब सब बड़ चढ़े हैं अपनी जिंदगी में आगे,
शायद इसी लिए कहीं खो से गये हैं,
यारों के साथ वो घूमना फिरना वो प्याली चाय की,
कहां कुछ अब पहले जैसा है,
ना जाने ये बदल रहा जमाना या शायद हम कहीं खो से गये हैं,
कुछ नाम मुझको याद अभी तक,
तो कुछ चेहरे दिल से कहीं खो से गये हैं,
यारों के साथ वो पल जो गुज़रे,
करता हूं अब याद अब उनको,
कुछ हसाते तो कुछ आखें नम कर जाते हैं,
ना चाहकर भी वो बिताए पल याद आते हैं,
इस बढ़ती जिंदगी में कहां हम अब समय निकाल पाते हैं,
यारों के साथ वो पल जो गुज़रे,
अब हर मोड़ याद आते हैं।

©Rupesh gangwar
  यारो के साथ बिताए पल!❤️
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