अपने स्वप्नों के कल्पवृक्ष की डालियो को रात भर मै . झकझोरता रहा ताकि सुबह तक मेरे आँगन मे वैभव और सम्रद्धि की बाड़ आ जाए लेकिन सुबह जब आँख खुली तो बाढ़ आ चुकी थी यथार्थ रूप मे मैने देखा मै बाड़ के प्रवाह मे बहता जा रहा था और प्रयास कर रहा था कि उस कल्पवृक्ष की डॉली को पकढ़ अपनी बची खुची सम्पदा को किसी तरह उस प्रवाह से बचाने मे कामयाब हो जाऊ कल्प वृक्ष.... ..