घूँघट के लाल ने स्त्री को उसके बोझ का कभी मलाल होने ही नहीँ दिया । उसके घेरे में सिमटी अपनी पहचान को कभी सवाल होने ही नहीँ दिया। घूँघट .... स्त्री के समर्पण भाव का फ़ख्त दुरुपयोग था। - अदिती कपीश अग्रवाल नमस्कार लेखकों!🌻 मई के माह के साथ, हम आपके लिए लेकर आए हैं दैनिक शब्द जिसके अंतर्गत आप collab द्वारा अपने लेखन में उस शब्द का प्रयोग करेंगे। आज का शब्द ~ घूंघट नए महीने के नए कार्य पर हाथ आज़माने के लिए शुभकामनाएं!✨