रहगुज़र में कोई रुकता नहीं अब मुसाफ़िर भी ठहरता नहीं शैख़ का हुक़्म हुआ था 'सवाब' पर निगाहों से उतरता नहीं इश्क़ में हमने भी धक्के सहे फिर भी ये दिल है कि डरता नहीं हुक्मराँ रोज़ बदलते रहे पर ये हालात सँवरता नहीं 'नवनीत' अब ये तमाशा देखो जो भी गिरता है, बिखरता नहीं ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर