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हाँ तुम दूर रहकर भी मिल सकते हो मुझसे बिन बोले भी

हाँ तुम दूर रहकर भी मिल सकते हो मुझसे
बिन बोले भी  बातें कर सकते हो मुझसे
बिन गले लगे भी दिल से लग सकते हो मेरे
बिन छूये उँगलियों से भी छू सकते हो मुझे
हाँ ये तुम पर निर्भर है तुम जैसा चाहो वैसा
महसूस कर सकते हो मुझे
तुम चाहो तो कोई नाम रख देना
न चाहो तो बेनाम कर देना
चाहों कोई स्वरूप देना
स्त्री पुरूष या कोई देवरूप देना
 न चाहो तो कुरूप ही रहने देना
हाँ ये तुम पर निर्भर है
तुम जैसा चाहो वैसा स्वरूप दे दे ना
कोयल की मीठी आवाज देना
या कव्वे की काँव-काँव सहना
या सामवेद से संगीत देना
या ओंकार नाद कहना
चाहों तो किसी मैनी की तरह
मूक वाणी मेरी रहने देना
हाँ ये तुम पर निर्भर है तुम जैसा चाहो वैसा
मुझ सुन लेना या फिर अनसुना कर देना..

©Raj Alok Anand
  #alonefeelings