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आंखे , नम है। थोड़ा, गम है।। सूरज, निकला, लेकिन

आंखे , नम है।
थोड़ा,  गम है।।

सूरज,  निकला,
लेकिन, तम है।।

बाहर ,  बिखरे,
अंदर,  सम है।।

टूटा,  पल -पल,
फिर भी, दम है।।

तुमको ,खोया,
पाया, कम है।।

©डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313)
  #यादों का मौसम