Nojoto: Largest Storytelling Platform

White बैठे-बैठे खोज रहा हूं, खुद को मैं समझ रहा हू

White बैठे-बैठे खोज रहा हूं,
खुद को मैं समझ रहा हूं,
कर्म को अपने देख रहा हूं,
मैं ख़ुद से ये पूछ रहा हूं कि
क्या मैं खोज रहा हूं,
की क्या होगा, की क्या होगा..?
जो मैं सोच रहा हूं , जो होगा वह क्या होगा
ये बात मैं अपने अंतर्मन से पूछ रहा हूं।
समझ रहा हूं, देख रह हूं,
खोज रहा हूं,
जैसे दिल में रहती धड़कन है, जैसे गीतों में होती सरगम है, 
फूलों में, कांटो में 
खेतों में, खलिहानों में,
सूरज कि किरणों में,
इंद्रधनुष के तरंगों में,
आसमां में,चांद सितारों में,
नभ के सभी दिशाओं में,
इतिहासों में और भुगोलों में,
महलों में,खंडहरों में ,
परिस्थितियों में रीस्थितियों में,
हर पल हर एक जर्रे में ख्वाहिशों के कतरे-कतरे में,
                     ||बस खोज रहा हूं||

©Kavi Aditya Shukla #Nojoto #Like
White बैठे-बैठे खोज रहा हूं,
खुद को मैं समझ रहा हूं,
कर्म को अपने देख रहा हूं,
मैं ख़ुद से ये पूछ रहा हूं कि
क्या मैं खोज रहा हूं,
की क्या होगा, की क्या होगा..?
जो मैं सोच रहा हूं , जो होगा वह क्या होगा
ये बात मैं अपने अंतर्मन से पूछ रहा हूं।
समझ रहा हूं, देख रह हूं,
खोज रहा हूं,
जैसे दिल में रहती धड़कन है, जैसे गीतों में होती सरगम है, 
फूलों में, कांटो में 
खेतों में, खलिहानों में,
सूरज कि किरणों में,
इंद्रधनुष के तरंगों में,
आसमां में,चांद सितारों में,
नभ के सभी दिशाओं में,
इतिहासों में और भुगोलों में,
महलों में,खंडहरों में ,
परिस्थितियों में रीस्थितियों में,
हर पल हर एक जर्रे में ख्वाहिशों के कतरे-कतरे में,
                     ||बस खोज रहा हूं||

©Kavi Aditya Shukla #Nojoto #Like