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ख़यालों में तेरे, मैं खोया रहता हूँ, चुप रहता हूँ,

ख़यालों में तेरे,
मैं खोया रहता हूँ,
चुप रहता हूँ, 
कुछ न कहता हूँ....

उजड़ गए जो बाग, 
कहाँ हरे होते हैं..
उखड़ गए जो तने पेड़ के, 
फिर से कहाँ खड़े होते हैं...

©HINDI SAHITYA SAGAR
  ख़यालों में तेरे,
मैं खोया रहता हूँ,
चुप रहता हूँ, 
कुछ न कहता हूँ....

उजड़ गए जो बाग, 
कहाँ हरे होते हैं..
उखड़ गए जो तने पेड़ के,

ख़यालों में तेरे, मैं खोया रहता हूँ, चुप रहता हूँ, कुछ न कहता हूँ.... उजड़ गए जो बाग, कहाँ हरे होते हैं.. उखड़ गए जो तने पेड़ के, #लव

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