चांदनी रात संग तेरी याद जो ये आती है, सूरज ढलने की राह देखता हूं मै अक्सर।। चकोर बैठकर मुंडेर पर जो गाती है, तुम्हे पाने की चाह देखता हूं मै अक्सर।। यहां जमीन पर भी चांद दिखा क्या कोई चांद, तारो से ये पूछता हूं मै अक्सर।। शायद मिल जाओ ख़्वाब में ही एक पल के लिए, रात होते ही सो जाता हूं मै अक़्सर।। - बजरंग प्रसाद #poetry #gazal #yaadonkeuzaaleyme #hindisheroshyari